हरियाणा

हरियाणा में जेल में बंद चोरी के आरोपी पर बंदी के दौरान भी चोरी करने का मामला दर्ज

सत्य खबर, करनाल।

करनाल के तरावड़ी थाने के सब इंस्पेक्टर की करतूतों का खामियाजा जेल में बंद आरोपी को भुगतना पड़ा। सब इंस्पेक्टर ने ट्रांसफार्मर चोरी के आरोप में जेल में बंद आरोपी के खिलाफ चोरी के चार और मामले दर्ज कर दिए, जबकि चोरी की उन वारदातों के दौरान आरोपी जेल में ही था। आखिर आरोपी जेल में रहकर चोरी कैसे कर सकता है?

 

इन मामलों में निर्दोष होते हुए भी पीड़ित इंदल पहले ही सजा काट चुका है। जिला अतिरिक्त सेशन जज डॉ. सुशील गर्ग की अदालत में केस पहुंचा तो जज साहब ने SI को पकड़ लिया और गृह सचिव, DGP हरियाणा व SP करनाल को जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए है। आदेश में यह भी लिखा कि पुलिस के पास लोगों पर अत्याचार करने का कोई लाइसेंस नहीं है।

 

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आरोपी इंदल के साथ तीन आरोपियों पर 23 अगस्त 2023 को चोरी के आरोप तय हुए थे, आरोपों के तहत इन सभी आरोपियों ने 27-28 फरवरी की रात को हुई चोरी की वारदात को अंजाम दिया था। जिला अतिरिक्त सेशन जज डॉ. विवेक गोयल की अदालत में केस था। लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि इंदल 18 अप्रैल 2019 से 15 अप्रैल 2022 तक सोनीपत के एक मामले में जेल में बंद था, इसके बावजूद जांच अधिकारी देवेंद्र ने इंदल को 27-28 फरवरी 2022 की रात को हुई चोरी में शामिल बताया। तरावड़ी थाना पुलिस अब सवालों के घेरे में है। इसके साथ ही उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे है। तरावड़ी थाना के जांच अधिकारी देवेंद्र ने इंदल को एक नहीं बल्कि चार मामलों में संलिप्त दिखाया है। जिसमें FIR नंबर-164 है, जिसमें 12 अप्रैल 2022 को ट्रांसफॉर्मर चोरी का केस है। FIR-108 जो 11 मार्च 2022 को दर्ज हुई। FIR-87, जो 2 मार्च 2022 को दर्ज की गई।

 

FIR-139, जो 27 मार्च 2022 को दर्ज की गई। तरावड़ी थाना में दर्ज इन अभियोग में इंदल शामिल बताया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बड़े अफसर जांच अधिकारी की इतनी बड़ी गलती नहीं पकड़ पाए, क्या वास्तव में इनको OI की गलती का पता ही नहीं चला, या फिर मामला कुछ ओर है। क्या जान बूझकर या फिर लापरवाही से बिना मामले की जांच किए कोर्ट में चालान पेश कर दिए। जांच का विषय जरूर है।

 

जांच अधिकारी देवेंद्र की लापरवाही जिला अतिरिक्त सेशन जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग ने पकड़ी है। अगर यह लापरवाही न पकड़ी जाती तो इंदल को उन चोरी की घटनाओं या फिर गुनाहों में सजा हो जाती, जो उसने कभी किया ही नहीं।

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अब अदालत ने जांच अधिकारी के खिलाफ एक महीने के अंदर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। साथ ही पुलिस अधिकारियों में इस तरह की प्रवृत्ति को हल्के में न लेने और सख्ती से लगाम लगाने के आदेश जारी कर दिए है।

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